अगर आपने अब तक कोई हेल्थ इंश्योरेंस नहीं लिया है तो थोड़ा रुक जाइए. क्योंकि भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) ने कहा है कि वह स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों के दायरे से 'बाहर' की बीमारियों की संख्या को कम करने की प्रक्रिया शुरू कर रहा है. इरडा अगर ऐसा करता है तो आपके हेल्थ इंश्योरेंस में वे गंभीर बीमारियां भी शामिल हो जाएंगी जिनका इलाज अभी कवर नहीं होता. जानकारों के मुताबिक ऐसी व्यवस्था होने से बीमारियों पर कवरेज का दायरा बढ़ जाएगा. कुछ कंपनियां कैंसर आदि बीमारियों पर कवर देती हैं लेकिन उनका प्रीमियम इतना अधिक होता है जिसे आम आदमी अफोर्ड नहीं कर सकता. इरडा के नई व्यवस्था बनाने से तमाम गंभीर बीमारियां कम प्रीमियम में कवर होने लगेंगी.
इरडा समय-समय पर स्वास्थ्य बीमा के मानकीकरण और इनमें पारदर्शिता बढ़ाने व समानता लाने के लिए दिशानिर्देश जारी करता रहता है. इनमें स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों में इस्तेमाल होने वाली शब्दावली को सरल बनाने के अलावा गंभीर बीमारियों के लिए नामावली और प्रक्रियाओं के मानकीकरण संबंधी दिशा-निर्देश शामिल होते हैं. इसके आधार पर कंपनियां स्वास्थ्य बीमा की नियम-शर्तों को उपभोक्ताओं के अनुकूल बनाती हैं.
इरडा ने अपने आदेश में कहा कि स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी उपलब्ध कराने वाली कंपनियों की संख्या बढ़ रही है. साथ ही उनके द्वारा पेश किए जाने वाले उत्पादों की संख्या में भी इजाफा हुआ है. ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि उद्योग इस बारे में समान रुख अपनाए. उत्पाद डिजाइन में किसी बीमारी को बाहर रखने के बारे में सभी कंपनियों द्वारा समानता का रुख अपनाया जाए. इस उद्देश्य से नियामक ने 10 सदस्यीय समिति बनाई है और उसे आठ सप्ताह में अपनी रिपोर्ट देने को कहा है. समिति के प्रमुख इरडा के कार्यकारी निदेशक (स्वास्थ्य) सुरेश माथुर हैं.
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