क्यों होती है औरतों में इसकी संभावना
स्त्रियों में सिस्टाइटिस संक्रमण की संभावना आधिक होती है. हालांकि सभी आयु के लोग इस संक्रमण से ग्रसित होते हैं, लेकिन प्रजनन आयु समूह में इसके अधिक मामले आते हैं.
हर साल तकरीबन 15 फीसदी औरतों में सिस्टाइटिस संक्रमण की समस्या आती है एवं लगभग आधी स्त्रियों को जीवन में कम से कम एक बार सिस्टाइटिस की समस्या होती है.
तरल पदार्थ का अधिक सेवन करें ताकि संक्रमण यूरीन के द्वारा बाहर आ सके. कैफीन या एसीडिक ड्रिंक्स जैसे कोल्ड/सोफ्ट ड्रिंक्स का सेवन अधिक न करें.
मानसून में लोग अक्सर कम पानी पीते हैं, जिसके कारण सिस्टाइटिस होने का खतरा रहता है. पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियों में सिस्टाइटिस का खतरा आठ गुना अधिक होता है. सिस्टाइटिस शरीर में तरलता की कमी से होती है. सामान्यत: मानसून में प्यास भी कम लगती है क्योंकि शरीर से कम पानी अवशोषित होता है. इसके परिणामस्वरूप इस मौसम में पुरुषों व स्त्रियों को यूरीनरी ब्लैडर में सिस्टाइटिस का संक्रमण हो जाता है. यूं तो शरीर में पानी की कमी का पुरुषों, स्त्रियों व बच्चों सभी पर बुरा प्रभाव पड़ता है, लेकिन स्त्रियों पर इसका प्रभाव अधिक होता हैं. सिस्टाइटिस से स्त्री संबंधी स्वास्थ्य समस्याएं होने की संभावना आठ गुना बढ़ जाती है.
स्त्रियों को सिस्टाइटिस का जोखिम अधिक इसीलिए रहता है, क्योंकि पुरुषों की तुलना में इनका यूरीनरी ब्लैडर छोटा होता है. सिस्टाइटिस संक्रमण का जोखिम गर्भवतियों में सबसे ज्यादा होता है. इस तरह के संक्रमण से गर्भावस्था में जटिलताएं आ सकती हैं.
सिस्टाइटिस के लक्षण :
-मूत्र त्याग के समय दर्द व जलन.
-बार-बार एवं अचानक मूत्र त्याग की आवश्यकता अनुभव होना परन्तु मूत्र की मात्रा कम निकलना अथवा न निकलना.
-पेट का निचला भाग नाजुक लगना एवं कमर में दर्द.
-तेज बुखार
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