इसका इलाज क्या है?
इसमें दर्द के स्तर के अनुसार इलाज किया जाता है। कुछ मामलों में पेनकिलर्स दी जाती हैं तो कई बार फिजियोथैरेपी से इस दर्द को दूर करने की कोशिश की जाती है। इसके अलावा एक्सरसाइज, अल्ट्रासोनिक थैरेपी, इंटरफेरेंटियल थैरेपी भी इलाज के तौर पर इस्तेमाल की जाती हैं। योगासन और एक्यूप्रेशर से भी इलाज किया जाता है। अगर कंडिशन काफी सीरियस हो गई है व पैरों में सुन्नपन, कमजोरी और यूरिन रिलीज करने में दिक्कत आ रही है तो आॅपरेशन करते हैं। आॅपरेशन किस पद्धति से किया जाएगा यह बीमारी की गंभीरता, हड्डी की बनावट, डिस्क की माप के आधार पर तय किया जाता है।
इससे बचने के लिए आदतों में क्या बदलाव किया जाए?
- एक ही स्थिति में अधिक देर तक न बैठें।
- बहुत अधिक देर तक बैठना जरूरी हो तो थोड़ी-थोड़ी देर में उठें।
- इस तरह बैठें ताकि रीढ़ को सहारा मिले और झटके से न तो बैठें और न ही उठें।
- जब भी झुकें तो रीढ़ की जगह घुटने मोड़ें।
- हमेशा सीधे खड़े हों और कैल्शियम से भरपूर डाइट लें।
- रोजाना एक घंटा वर्कआउट जरूर करें।
भ्रांति: पीठ के निचले हिस्से में दर्द है यानी हड्डी का कैंसर है।
सच:यह सच नहीं है। यह दर्द लगातार बैठने के कारण होता है। यह कैंसर नहीं है।
भ्रांति: इस दर्द की दवा सिर्फ पेनकिलर्स हैं।
सच:इस दर्द की परमानेंट दवा व्यायाम है।
भ्रांति: यह रोग बच्चों में नहीं होता
सच: यह गलत है। आजकल बच्चे अक्सर कम्प्यूटर, टीवी के सामने देर तक बैठते है वो भी गलत मुद्रा में।
फैक्ट्स एंड फिगर्स
- 3 दिन से अधिक बिस्तर पर लेटकर आराम करने से मांसपेशियां कमजोर होती हैं।
- कमर दर्द से परेशान हर 10 में से 1 व्यक्ति को गंभीर समस्या होती है और 100 में से एक व्यक्ति को सर्जरी की जरूरत पड़ती है।
- रोजान 20 मिनट ध्यान करने से कमर दर्द से राहत मिलती है।
- हर सप्ताह एक घंटा पैदल चलने से कमर दर्द के अलावा हृदय रोगों से बचाव होता है।
कैसे होती है दर्द की शुरुआत?
उम्र बढ़ने के कारण डिस्क में पानी कम होता जाता है इस कारण कमर और पीठ का लचीलापन खत्म हो जाता है। ऐसी स्थिति में डिस्क की नसों पर दबाव पड़ना शुरू हो जाता है। इससे पैरों में दर्द, अकड़न की समस्या शुरू होती है। वहीं कमर और पीठ के दर्द का मुख्य कारण हड्डी में होने वाला संक्रमण है। इसके अलावा डिस्क में भी बैक्टीरियल इंफेक्शन होने पर दर्द होता है। रीढ़ की हड्डी का ट्यूमर भी दर्द का कारण बनता है। इसलिए इलाज से पहले दर्द के कारण का पता लगाया जाना जरूरी है।
इसके कारण क्या हो सकते हैं?
इसके कारण कई हैं जैसे ऊंची एड़ी के जूते-चप्पलों का अधिक इस्तेमाल, तनाव, लगातार झुककर बैठना, रोजाना देर तक गाड़ी चलाना, दफ्तर में झुककर काम करना और काफी देर तक कम्प्यूटर पर काम करना। ऐसी स्थिति में रीढ़ की हड्डी पर अधिक दबाव पड़ता है और जो दर्द के रूप में सामने आता है। इसके अलावा गलत तरीके से उठना, बैठना, चलना-फिरना, टीबी, एंकाइलोसिंग स्पॉन्डिलाइटिस, आॅस्टियोपोरोसिस और डेली रूटीन में व्यायाम न करना भी इसकी वजहे हैं।
कैसे कारणों की पहचान करें?
दर्द के कारणों का पता लगाने के लिए एक्स-रे, सीटी स्कैन, एमआरआई, डिस्कोग्राफी, फैसेट आथ्रोग्राम जैसी जांच करा सकते हैं। जांच के लिए एमआरआई को सबसे बेहतर माना जाता है क्योंकि इससे कौन सी नस पर अधिक दबाव पड़ रहा है इसकी जानकारी मिल जाती है।
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