अग्नि-गान
अग्नि-स्तवन
अज विलाप
अतृप्ति
अतिथि से
अधिकार-वे मुस्काते फूल, नहीं
अनन्त की ओर
अन्त-विश्व-जीवन के उपसंहार
अनुरोध
अनोखी भूल
अपनी बात (सप्तपर्णा)
अबला
अभय
अभिमान-छाया की आँखमिचौनी
अलि अब सपने की बात (गीत)
अलि कहाँ सन्देश भेजूँ
अलि, मैं कण-कण को जान चली
अलि वरदान मेरे नयन
अलि से
अश्रु मेरे माँगने जब
अश्रु यह पानी नहीं है
आओ प्यारे तारो आओ
आज क्यों तेरी वीणा मौन
आज तार मिला चुकी हूँ
आज दे वरदान
आज मेरे नयन के तारक हुए जलजात देखो
आज सुनहली वेला
आना-जो मुखरित कर जाती थी
आभा-कण
आलोक पर्व-दीप माटी का हमारा
आशा
आह्वान
आँखों में अंजन-सा आँजो मत अंधकार (गीत)
आँसू
आँसुओं के देश में
आँसू का मोल न लूँगी मैं
आँसू की माला
आँसू से धो आज
इन सपनों के पंख न काटो
इस जादूगरनी वीणा पर
उत्तर-इस एक बूँद आँसू में
उद्बोधन
उनका प्यार
उनसे (रश्मि)
उनसे (नीहार)
उपालम्भ-दिया क्यों जीवन का वरदान
उर तिमिरमय घर तिमिरमय
उलझन-अलि कैसे उनको पाऊँ
उस पार-घोर तम छाया चारों ओर
उषा
एक बार आओ इस पथ से
ओ अरुण वसना
ओ चिर नीरव
ओ पागल संसार
ओ विभावरी
ओ विषपायी
कभी
कमलदल पर किरण अंकित
करते श्याम विहार (गीत)
क्रय-चुका पायेगा कैसे बोल
क्रांति गीत
कहता जग दुख को प्यार न कर
कहाँ
कहाँ उग आया है तू हे बीज अकेला
कहाँ गया वह श्यामल बादल
कहाँ रहेगी चिड़िया
कहाँ से आये बादल काले
किस तरंग ने इसे छू लिया
किसी का दीप निष्ठुर हूँ
कीर का प्रिय आज पिंजर खोल दो
केवल जीवन का क्षण मेरे
कैसे सँदेश प्रिय पहुँचाती
कोई यह आँसू आज माँग ले जाता
कोकिल गा न ऐसा राग
कोयल
कौन ?
कौन तुम मेरे हृदय में
कौन है?-कुमुद-दल से वेदना के
क्या जलने की रीति
क्या नई मेरी कहानी
क्या न तुमने दीप बाला?
क्या पूजन क्या अर्चन रे
क्यों-सजनि तेरे दृग बाल
क्यों अश्रु न हों श्रृंगार मुझे
क्यों इन तारों को उलझाते (गीत)
क्यों जग कहता मतवाली
क्यों पाषाणी नगर बसाते हो जीवन में
क्यों मुझे प्रिय हों न बन्धन
क्यों वह प्रिय आता पार नहीं
खारे क्यों रहे सिंधु
खुदी न गई
खोज
गृह-प्रवेश
गूँजती क्यों प्राण-वंशी
गोधूली अब दीप जगा ले
घन बनूँ वर दो मुझे प्रिय
घिरती रहे रात
चयन
चातकी हूँ मैं
चाह
चिर सजग आँखे उनींदी-जाग तुझको दूर जाना
जग अपना भाता है
जग ओ मुरली की मतवाली
जग करुण करुण, मैं मधुर मधुर
जब-नींद में सपना बन अज्ञात
जब यह दीप थके तब आना
ज्योतिष्मती
जाग जाग सुकेशिनी री
जाग बेसुध जाग
जागरण
जागो बेसुध रात नहीं यह
जाने किसकी स्मित रूम-झूम
जाने किस जीवन की सुधि ले
जाल परे अरुझे सुरझै नहिं
जीवन
जीवन दीप-किन उपकरणों का दीपक
जो तुम आ जाते एक बार
जो न प्रिय पहिचान पाती
जो मुखरित कर जाती थीं-आना
झरते नित लोचन मेरे हों
झिप चलीं पलकें तुम्हारी पर कथा है शेष
झिलमिलाती रात मेरी
टकरायेगा नहीं
टूट गया वह दर्पण निर्मम
ठाकुर जी
तन्द्रिल निशीथ में ले आये
तपोवन यात्रा
तब
तब क्षण क्षण मधु-प्याले होंगे
तम में बनकर दीप
तरल मोती से नयन भरे
तितली से
तिमिर में वे पदचिह्न मिले
तुमको क्या देखूं चिर नूतन
तुम तो हारे नहीं तुम्हारा मन क्यों हारा है
तुम दुख बन इस पथ से आना
तुम मुझमें प्रिय, फिर परिचय क्या
तुम सो जाओ मैं गाऊँ
तुम्हारी बीन ही में बज रहे हैं बेसुरे सब तार
तुम्हें बाँध पाती सपने में
तू धूल-भरा ही आया
तू भू के प्राणों का शतदल
तेरी छाया में अमिट रंग-बहना जलना
तेरी सुधि बिन क्षण क्षण सूना
दुविधा-कह दे माँ क्या अब देखूँ
दिया-धूलि के जिन लघु कणों में
दिया क्यों जीवन का वरदान-उपालम्भ
दीन भारतवर्ष
दीप
दीपक अब रजनी जाती रे(गीत)
दीपक चितेरा
दीपक में पतंग जलता क्यों
दीप कहीं सोता है
दीप तेरा दामिनी
दीप-मन
दीप मेरे जल अकम्पित
दु:ख आया अतिथि द्वार (गीत)
दुःख-रजतरश्मियों की छाया में
दूर घर मैं पथ से अनजान
देखो
देव अब वरदान कैसा
देशगीत : अनुरागमयी वरदानमयी
देशगीत : मस्तक देकर आज खरीदेंगे हम ज्वाला
धीरे धीरे उतर क्षितिज से
धूप सा तन दीप सी मैं
ध्वज गीत: विजयनी तेरी पताका
नभ आज मनाता तिमिर-पर्व-आलोक-छंद
न रथ-चक्र घूमे
नव घन आज बनो पलकों में
नहीं हलाहल शेष, तरल ज्वाला से अब प्याला भरती हूँ
निभृत मिलन
निमिष से मेरे विरह के कल्प बीते
निर्वाण-घायल मन लेकर सो जाती
निश्चय
नीरव भाषण-गिरा जब हो जाती है मूक
पथ देख बिता दी रैन
पथ मेरा निर्वाण बन गया
पपीहे के प्रति-जिसको अनुराग सा
प्रश्न (रश्मि)-अश्रु ने सीमित कणों में
प्रश्न (सप्तपर्णा)
पंकज-कली
पंथ होने दो अपरिचित
प्रतीक्षा
प्रत्यागमन
प्राणपिक प्रिय-नाम रे कह
प्राण रमा पतझार सजनि
प्राण हँस कर ले चला जब
प्राणों ने कहा कब दूर,पग ने कब गिने थे शूल
परिचय
प्रिय इन नयनों का अश्रु-नीर
प्रिय गया है लौट रात
प्रिय चिरन्तर है सजनि
प्रिय ! जिसने दुख पाला हो
प्रिय-पथ के यह मुझे अति प्यारे ही
No comments:
Post a Comment