
ओडिशा के पुरी में आज यानी 14 जुलाई से 141वीं रथ यात्रा शुरू हो गई है। आषाढ़ मास में शुक्ल पक्ष की द्वितीया को निकाले जाने वाली इस यात्रा में देशभर से सैंकड़ों लोग हिस्सा लेने पहुंचे हैं। भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा अपने घर यानी जगन्नाथ मंदिर से गुंडिचा मंदिर के लिए निकल गये हैं। बता दें, गुंडिचा मंदिर को भगवान जगन्नाथ की मौसी का घर माना जाता है। इन विशाल रथों को यात्रा में शामिल सारे लोग मिलकर खींचते हैं। कहा जाता है कि रथ खींचने वाले लोगों के सारे दुख दूर हो जाते हैं और उन्हें मोक्ष प्राप्त होता है।बता दें, यूनेस्को द्वारा पुरी के एक हिस्से को वैश्विक धरोहर की सूची में शामिल किए जाने के बाद यह पहली रथ यात्रा है। इस बार की रथ यात्रा की थीम भी 'धरोहर' है। भगवान जगन्नाथ मंदिर से जुड़ी कई ऐसी चमत्कारी बातें हैं जो आकर्षण का केन्द्र हैं। आगे की स्लाइड में जानें रथ यात्रा से जुड़ी कुछ रोचक बातें...आमतौर पर मंदिरों के शिखर पर लगा झंडा जिस दिशा में हवा चलती है उसी तरफ लहराता है, लेकिन जगन्नाथ मंदिर में यह नियम लागू नहीं होता। जगन्नाथ मंदिर के शिखर पर लगा झंडा हमेशा हवा के विपरीत दिशा में लहराता है और ऐसा क्यों है इस बारे में कोई नहीं जानतामंदिर के शिखर पर एक सुदर्शन चक्र भी लगा हुआ है। इस चक्र को आप किसी भी दिशा में खड़े होकर देखेंगे तो यह चक्र हमेशा आपके सामने ही दिखाई देता है।भक्तों के लिए प्रसाद तैयार करने के लिए मंदिर की रसोई में सात बर्तन को एक दूसरे के ऊपर रखकर पकाया जाता है। इस दौरान सबसे ऊपर रखे बर्तन का पकवान पहले पकता है फिर ऊपर से नीचे की तरफ से एक के बाद प्रसाद पकता है।आप जब किसी मंदिर जाते होंगे तो आपने देखा होगा कि ज्यादातर मंदिरों के शिखर पर पक्षी बैठे और उड़ते दिखाई देते हैं, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि जगन्नाथ मंदिर के ऊपर से कोई पक्षी नहीं गुजरता।दिन के किसी भी समय में मंदिर के मुख्य शिखर की परछाई नही दिखाई देती हैमंदिर के शिखर पर लगे झंडे को रोज बदला जाता है, ऐसी मान्यता है कि अगर एक भी दिन झंडा न बदला तो मंदिर 18 सालो के लिए बंद हो जाएगा।सिंहद्वार में प्रवेश करने पर आपको किसी तरह की सागर की लहरों की आवाज नहीं सुनाई देती, लेकिन कदम भर बाहर रखते ही लहरों का संगीत कानों में पड़ने लगता है।
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