Tuesday, 24 July 2018

उमस में ज्यादा पसीना निकलने पर कार्डियक पेशेंट्स की बढ़ सकती हैं

                        कार्डियक पेशेंट्स के लिए इमेज परिणाम
मानसून में गिरते तापमान और उमस की वजह से ना सिर्फ बैक्टीरियल और फंगल स्किन इंफेक्शन होता है। बल्कि रेस्पिरेटरी ट्रेक में संक्रमण होने से सांस लेने में तकलीफ शुरू हो जाती है। उमस बढ़ने और पसीना ज्यादा निकलने से कार्डियक व अस्थमा पेशेंट्स के लिए परेशानियां बढ़ जाती है। कार्डियक पेशेंट्स को सांस लेने में तकलीफ, घुटन और घबराहट महसूस होती है। धड़कनें बढ़ने के साथ साथ ब्लड प्रेशर में उतार-चढ़ाव आ सकता है।  कौन सी बातें जानना जरूरी हैं...
ये 5 कदम उठाएं
1- एसी का इस्तेमाल न करें
सीने में भारीपन और शरीर में इलेक्ट्रोलाइट का लेवल बिगड़ जाता है। बॉडी जल्दी नहीं सूख पाने की वजह से यह ठंडी नहीं हो पाती है। इससे हीट स्ट्रोक होने की संभावना बढ़ जाती है। बारिश में भीगने से वायरल और घर में सीलन आने से फंगल इंफेक्शन हो सकता है। सीलन के कारण रेस्पिेटरी ट्रेक में इंफेक्शन होने की वजह से खांसी और सांस लेने में तकलीफ होती है। मानसून में तापमान कम होने पर एसी का इस्तेमाल नुकसानदायक है। इससे गला खराब, जुकाम लगना और खांसी की दिक्कत हो सकती है। इससे बचने के लिए एसी के इस्तेमाल से बचना चाहिए।
2- फीवर-सर्दी जुकाम को नजरअंदाज न करें
मानसून की बीमारियों में मच्छर के काटने से होने वाला डेंगू, चिकनगुनिया सामान्य हैं। स्क्रब टाइफस के लक्षणों को शुरुआती स्टेज पर पहचानते हुए ट्रीटमेंट शुरू कर दिया जाए तो पेशेंट्स की जान बचाई जा सकती है। इसकी शुरुआत फीवर और जुकाम से होती है। धीरे-धीरे श्वांस नली में इंफेक्शन होने पर सांस लेने में परेशानी होती है। वहीं, प्लेटलेट्स कम होने पर किडनी और लिवर फेल हो सकता है। लंग्स इंफेक्शन से डबल निमोनिया हो सकता है। ह्यूमिडिटी के कारण गठिया पेशेंट्स में सूजन के साथ-साथ दर्द बढ़ता है।
3- ठंडी चीजों को खाने से बचें
लंबे समय तक उमस से बचें। खुली जगह पर बैठें। ऐसा नस करने पर पसीना अधिक निकलता है और शरीर का तापमान भी बिगड़ता है। ज्यादा से ज्यादा लिक्विड पिएं। आइसक्रीम, कोल्ड ड्रिंक से दूरी बनाएं। इस मौसम में आम खाने से बचें। इससे बैक्टीरियल इंफेक्शन की आशंका अधिक होती है। बासी खाना न खाएं।

 - बेहतर पाचन के लिए पीएं इमली का पानी
राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान के एकेडमिक डीन प्रो. ओमप्रकाश दाधीच
के अनुसार इस मौसम में नमी और उमस ज्यादा होने की वजह से शरीर के जरूरी मिनरल्स पसीने के जरिए निकल जाते है। भूख कम महसूस होती है। ज्यादातर लोग थकान महसूस करते है। ऐसे में, हैवी खाने की बजाय लिक्विड डाइट लें। नींबू और थोड़ी मात्रा में नमक लें। पेट को इंफेक्शन से बचाने के लिए ज्यूस, कैरी पानी, इमली पानी पिएं। इसके लिए एक लीटर ठंडे पानी में थोड़ी इमली आधा पौने घंटे के लिए भिगो दें। उसके बाद मसल कर आधा चम्मच काला नमक, सेंधा नमक, पोदीना, जीरा और गुड़ डालकर तैयार करें, इस पानी को दिनभर में थोड़ा-थोड़ा पिएं, इससे बॉडी डिटॉक्स होने के साथ डाइजेशन सिस्टम अच्छा होगा और भूख बढ़ेगी।
5 दाल और मसालों को शामिल करें
 
इसमें हरे या पीले मूंग की दाल में हींग, कालीमिर्च, जीरा, सौंठ और पिप्पली डालकर पतला सूप बनाकर पीएं इससे मिनरल्स की कमी दूर होगी। ब्रेकफास्ट या इवनिंग स्नैक्स में अंकुरित अनाज में मूंग, मोठ, चना आदि के अंकुरण के साथ सलाद खाना चाहिए। चिपचिपाहट की वजह से चेहरे पर पिंपल्स आ जाते हैं, इससे बचने के लिए मुल्तानी मिट्टी या चंदन पाउडर को फेस पैक की तरह लगाएं

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