सभी जानते हैं कि डायबिटीज एक गंभीर बीमारी है. डायबिटीज के मरीजों को अपनी डाइट का खास ख्याल रखना बेहद जरूरी होता है. डाइट में की गई थोड़ी सी भी चूक डायबिटीज के मरीजों के लिए खतरनाक साबित हो सकती है. भारत में ज्यादातर खाने में चावल और रोटी ही खाई जाती है. सभी डायबिटीज के मरीज इन दोनों चीजों का सेवन जरूर करते होंगे. आइए जानते हैं डायबिटीज के मरीजों को इन दोनों चीजों में से क्या खाना चाहिए और क्यों डायबिटीज के मरीजों को अपने ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रण में रखने के लिए ग्लाइसिमिक इंडेक्स का ज्ञान होना बेहद जरूरी है. ये ग्लूकोज में कार्बोहाइड्रेट के स्तर को कम कर के ब्लड शुगर को बढ़ा देता है.डायबिटीज के मरीजों को उन्हीं चीजों का सेवन करना चाहिए जिनमें ग्लाइसिमिक इंडेक्स का स्तर 55 से कम होता है. इससे ब्लड शुगर पर ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ता है. साथ ही ये डायबिटीज के मरीजों के लिए सबसे सही होती हैं. बता दें, जिन खाने की चीजों में जीआई का स्तर 56 और 69 के बीच होता है, उन चीजों का ब्लड शुगर पर थोड़ा असर पड़ता है. जबकि 70 से ज्यादा ग्लाइसिमिक इंडेक्स वाली चीजों का सेवन डायबिटीज के मरीजों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है.अलग-अलग तरह के चावलों में ग्लाइसिमिक इंडेक्स भी अलग पाया जाता है. चावल का ग्लाइसिमिक इंडेक्स उसके पॉलिश पर निर्भर करता है. जबकि रोटी का ग्लाइसिमिक इंडेक्स उसके आटे पर निर्भर करता हैबता दें, ब्राउन राइस में ग्लाइसिमिक इंडेक्स का स्तर 68 होता है, जबकि व्हाइट राइस में इसकी मात्रा 73 होती हैयूं तो डायबिटीज के मरीज सभी तरह के चावल खा सकते हैं, लेकिन ब्राउन राइस व्हाईट राइस की तुलना में ज्यादा फायदेमंद होते हैं. व्हाइट राइस में स्टार्च की मात्रा ज्यादा होती है, जिस वजह से ये जल्दी डाइजेस्ट हो जाते हैं. वहीं ब्राउन राइस में विटामिन, मिनरल्स और फाइबर की मात्रा ज्यादा पाई जाती है जिस कारण ये देर से डाइजेस्ट होते हैंरोटी- भारतीय घरों में रोटी बनाने के लिए कई तरह के आटे का इस्तेमाल किया जाता है. इनमें सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला गेहूं का आटा है. गेहूं के आटे में ग्लाइसिमिक इंडेक्स का स्तर 62 होता है. गेहूं के मुकाबले बार्ली और मक्का के आटे से बनी रोटी ज्यादा हेल्दी होती है. मक्का और बेसन के आटे से बनी रोटी में ग्लाइसिमिक इंडेक्स का स्तर 52 होता है, जो सबसे कम है.
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Saturday, 21 July 2018
डायबिटीज के मरीजों के लिए क्या है सही
सभी जानते हैं कि डायबिटीज एक गंभीर बीमारी है. डायबिटीज के मरीजों को अपनी डाइट का खास ख्याल रखना बेहद जरूरी होता है. डाइट में की गई थोड़ी सी भी चूक डायबिटीज के मरीजों के लिए खतरनाक साबित हो सकती है. भारत में ज्यादातर खाने में चावल और रोटी ही खाई जाती है. सभी डायबिटीज के मरीज इन दोनों चीजों का सेवन जरूर करते होंगे. आइए जानते हैं डायबिटीज के मरीजों को इन दोनों चीजों में से क्या खाना चाहिए और क्यों डायबिटीज के मरीजों को अपने ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रण में रखने के लिए ग्लाइसिमिक इंडेक्स का ज्ञान होना बेहद जरूरी है. ये ग्लूकोज में कार्बोहाइड्रेट के स्तर को कम कर के ब्लड शुगर को बढ़ा देता है.डायबिटीज के मरीजों को उन्हीं चीजों का सेवन करना चाहिए जिनमें ग्लाइसिमिक इंडेक्स का स्तर 55 से कम होता है. इससे ब्लड शुगर पर ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ता है. साथ ही ये डायबिटीज के मरीजों के लिए सबसे सही होती हैं. बता दें, जिन खाने की चीजों में जीआई का स्तर 56 और 69 के बीच होता है, उन चीजों का ब्लड शुगर पर थोड़ा असर पड़ता है. जबकि 70 से ज्यादा ग्लाइसिमिक इंडेक्स वाली चीजों का सेवन डायबिटीज के मरीजों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है.अलग-अलग तरह के चावलों में ग्लाइसिमिक इंडेक्स भी अलग पाया जाता है. चावल का ग्लाइसिमिक इंडेक्स उसके पॉलिश पर निर्भर करता है. जबकि रोटी का ग्लाइसिमिक इंडेक्स उसके आटे पर निर्भर करता हैबता दें, ब्राउन राइस में ग्लाइसिमिक इंडेक्स का स्तर 68 होता है, जबकि व्हाइट राइस में इसकी मात्रा 73 होती हैयूं तो डायबिटीज के मरीज सभी तरह के चावल खा सकते हैं, लेकिन ब्राउन राइस व्हाईट राइस की तुलना में ज्यादा फायदेमंद होते हैं. व्हाइट राइस में स्टार्च की मात्रा ज्यादा होती है, जिस वजह से ये जल्दी डाइजेस्ट हो जाते हैं. वहीं ब्राउन राइस में विटामिन, मिनरल्स और फाइबर की मात्रा ज्यादा पाई जाती है जिस कारण ये देर से डाइजेस्ट होते हैंरोटी- भारतीय घरों में रोटी बनाने के लिए कई तरह के आटे का इस्तेमाल किया जाता है. इनमें सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला गेहूं का आटा है. गेहूं के आटे में ग्लाइसिमिक इंडेक्स का स्तर 62 होता है. गेहूं के मुकाबले बार्ली और मक्का के आटे से बनी रोटी ज्यादा हेल्दी होती है. मक्का और बेसन के आटे से बनी रोटी में ग्लाइसिमिक इंडेक्स का स्तर 52 होता है, जो सबसे कम है.
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