Saturday, 7 July 2018

काला जादू


काला जादू, टोने, टोटके या अन्य किसी के द्वारा किया कराया जैसी बातें भी समाज में प्रचलित है। हालांकि इनकी सचाई के बारे में कोई नहीं जानता। कुछ लोग मानते हैं कि काला जादू होता है और कुछ लोग इसे वहम मानते हैं। अब यह तो शोध का विषय हो सकता है। नकारात्मक तंत्र-मंत्र को वो लोग अपनाते हैं जोकि दूसरों की सफलता से ईर्ष्या करते हैं। इस तरह के व्यक्तियों के अंदर नकारात्मकता, ईर्ष्या, लालच, निराशा, कुंठा इस तरह से घर कर जाती है कि वे दूसरों की सफलता, उन्नति, समृद्धि को स्वीकार नहीं कर पाते हैं तथा वे उस व्यक्ति से प्रतिशोध लेने के लिए काले जादू के द्वारा उसके लिए परेशानियां पैदा कर आनंद का अनुभव करते हैं। काले जादू का प्रयोग दूसरे व्यक्ति को हानि पहुंचाने या चोट पहुंचाने के लिए कुछ विशेष तरह की क्रियाओं के द्वारा सम्पन्न किया जाता है। इस प्रथा का प्रभाव हजारों मील दूर बैठे व्यक्ति पर भी देखा जा सकता है
 माना जाता है कि काला जादू उसे कहते हैं जिसके माध्यम से व्यक्ति अपने स्वार्थ को साधने का प्रयास करता है या किसी को नुकसान पहुंचाना के काम करता है। बंगाल और असम को काला जादू का गढ़ माना जाता रहा है। काले जादू के माध्यम से किसी को बकरी बनाकर कैद कर लिया जाता है या फिर किसी को वश में कर उससे मनचाहा कार्य कराया जा सकता है। काले जादू के माध्यम से किसी को किसी भी प्रकार के भ्रम में डाला जा सकता है और किसी को मारा भी जा सकता है। माना जाता है कि काला जादू शरीर में नकारात्‍मक ऊर्जा उत्‍पन्‍न करता है। ये शक्तियां बाहरी व्‍यक्ति के द्वारा भेजी जाती हैं जो उस व्‍यक्ति पर आतंरिक प्रभाव डालती है। दरअसल काला जादू मनोवैज्ञानिक ढंग से कार्य करता है। काला जादू करने वाले आपके अचेतन मन को पकड़ लेते हैं। इसका प्रभाव आपके मन पर होता है।

धर्म शास्त्रों में काले जादू को अभिचार के नाम से भी जाना जाता है अर्थात ऐसा तंत्र-मंत्र जिससे नकारात्मक शक्तियों को जागृत किया जाता है। काले जादू अर्थात नकारात्मक तंत्र-मंत्र का मुख्य उद्देश किसी व्यक्ति को उस स्थान से भगाना, उसे परेशान करना या उसे अपने वश में करके उसका इस्तेमाल करना या उसे बर्बाद करना होता है।
 काले जादू अर्थात नकारात्मक तंत्र-मंत्र से ग्रसित व्यक्ति के कुछ साधारण लक्षण हैं जैसे मानसिक अवरोध, श्वांसों में भारीपन तथा तेज चलना, गले में खिंचाव, जांघ पर नीले रंग के निशान बिना किसी चोट के, घर में बिना किसी विशेष कारण के कलह या लड़ाई-झगड़ा, घर के किसी सदस्य की अप्राकृतिक मृत्यु, व्यवसाय में अचानक हानि का होना आदि। कुछ और लक्षण भी हैं जैसे कि हृदय में भारीपन महसूस होना, निद्रा पर्याप्त न आना, किसी की मौजूदगी का भ्रम होना, कलह आदि साधारणतया देखने में आते हैं। व्यक्ति अशांत सा रहता है तथा उसको किसी भी तरह से शांति नहीं मिलती।  निराशा, कुंठा तथा उत्साह की कमी भी इसी का परिणाम है। यदि काले जादू का समय रहते उपाय न किया जाए तो यह अत्यंत विनाशकारी, भयानक तथा घातक हो सकता है जिसके परिणामस्वरूप जातक की जिंदगी तबाह तथा बर्बाद हो सकती है या फिर उसे कोई भयानक बीमारी अपने अधिन कर सकती है।
 काले जादू को अभिचार के नाम से भी जाना जाता है अर्थात ऐसा तंत्र-मंत्र जिससे नकारात्मक शक्तियों को जागृत किया जाता है। काले जादू अर्थात नकारात्मक तंत्र-मंत्र का मुख्य उद्देश किसी व्यक्ति को उस स्थान से भगाना, उसे परेशान करना या उसे अपने वश में करके उसका इस्तेमाल करना या उसे बर्बाद करना होता है।
काले जादू के अंतर्गत मूठकर्णी विद्या, वशीकरण, स्तंभन, मारण, भूत-प्रेत, टोने और टोटके आदि आते हैं। अधिकतर इसे तांत्रिक विद्या भी कहते हैं। इसके अलाव बहुत से ऐसे पारंपरिक अंधविश्वास और टोटके हैं जो अंधविश्वास हैं, जो लोक परंपरा से आते हैं जिनके पीछे कोई ठोस आधार नहीं होता। ये शोध का विषय भी हो सकते हैं। इसमें से बहुत-सी ऐसी बातें हैं, जो धर्म का हिस्सा हैं और बहुत-सी बातें नहीं हैं।
लेकिन यदि आप इन सब पर विश्वास करते हैं और यह मानते हैं और चाहते हैं कि काले जादू से या किसी के किए कराए से कैसे बचा जाए तो इसके लिए अगले पन्ने पर जाएं। काले जादू से ग्रसित व्यक्ति के लक्षण : काले जादू, टोने टोटके या तंत्र-मंत्र से ग्रसित व्यक्ति के लक्षण इस प्रकार होते हैं जैसे मानसिक अवरोध, श्वासों में भारीपन या तेज चलना, गले में खिंचाव, बिना किसी चोट के जांघ पर नीले रंग के निशान आना, हृदय में भारीपन महसूस होना, पर्याप्त नींद न आना, किसी की मौजूदगी का भ्रम होना आदि।   
इसके अलावा घर में बिना किसी विशेष कारण के कलह या लड़ाई-झगड़ा, निराशा, कुंठा, बैचेनी, अशांति तथा उत्साह की कमी भी इसी का परिणाम है। ऐसे माहौल में घर के किसी सदस्य की अप्राकृतिक मृत्यु, व्यवसाय में अचानक हानि का होना इसके पुख्ता लक्षण माने गए हैं।
कहते हैं कि यदि काले जादू का समय रहते उपाय न किया जाए तो यह अत्यंत विनाशकारी, भयानक तथा घातक हो सकता है जिसके परिणामस्वरूप जातक की जिंदगी तबाह तथा बर्बाद हो सकती है या फिर उसे कोई भयानक बीमारी अपने अधिन कर सकती है। जब अचानक से आपका अच्छा समय बुरे समय में बदल जाता है तो ऐसी संभावनाएं हो सकती हैं कि आपको या आपके घर को किसी की बुरी नजर लग गई है या किसी ने कुछ किया है। 
 काले जादू के ज्योतिषीय योग: कुंडली में ग्रहों के विशेष संयोग से व्यक्ति काले जादू के प्रभाव में आता हैं। यदि कुंडली में सूर्य, चंद्र, शनि, मंगल ग्रह विशेष भावों में राहु-केतु से पीड़ित होते हैं तभी नकारात्मक तंत्र-मंत्र व्यक्ति पर असर डालते हैं। जिस व्यक्ति का लग्न व सूर्य कमजोर होते हैं उन पर काला जादू अधिक प्रभाव डालता है। यदि कुंडली में ग्रहण योग है या राहु बहुत अनिष्टकारी स्थिति में है या शनि की टेढ़ी दृष्टि है या मंगल-शनि का संयोग है या चंद्र-शनि का संयोग हो तो भी जातक ऋणात्मक शक्तियों के प्रभाव में आता है। बाधकेश की कुंडली में स्थिति भी महत्वपूर्ण है। यदि इस समय छठे भाव व षटेश से संबंधित दशा चल रही हो व दशमेश लग्न, सप्तम, द्वादष भाव में स्थित हो व मंगल का संबंध लग्न से हो साथ ही केतु की स्थिति चतुर्थ, प्रथम व दशम भाव में हो। यदि बुध गुलिका से संबंधित हों तथा मंगल बाधक स्थान में हो व दोनों का दृष्टि संबंध बने तो भी व्यक्ति काले जादू के प्रभाव में आता है। ऐसे संयोग होने पर काले जादू के प्रभाव में आता है। 
कुंडली में अगर लग्न में चंद्र के साथ राहु हो और पांचवे और नौवें भाव में क्रूर ग्रह स्थित हों। इस योग में व्यक्ति अभिचार कर्म से पीड़ित होता है। यदि गोचर में भी यही स्थिति हो तो अवश्य ऊपरी बाधाएं तंग करती हैं। यदि कुंडली में शनि, राहु, केतु या मंगल में से कोई भी ग्रह सप्तम भाव में हो तो ऐसे लोग भी ऊपरी बाधा से परेशान रहते हैं। यदि कुंडली में शनि-मंगल-राहु की युति हो तो उसे भी प्रेत बाधा तंग करती है। उक्त योगों में दशा-अर्न्तदशा में भी ये ग्रह आते हों और गोचर में भी इन योगों की उपस्थिति हो तो समझ लें कि जातक या जातिका इस कष्ट से अवश्य परेशान हैं। राहु की महादशा में चंद्र की अंतर्दशा हो और चंद्र दशापति राहु से भाव 6, 8 या 12 में बलहीन हो, तो व्यक्ति अभिचार से ग्रसित होता है। 

 काले जादू से बचने के उपाय : 1.पानीदार एक नारियल लें और उसे अपने ऊपर से 21 बार वारें।  वारने के बाद उसे किसी देवस्थान पर जाकर अग्नि में जला दें। ऐसा परिवार के जिस सदस्य पर संकट हो उसके ऊपर से वारें। उक्त उपाय किसी मंगलवार या शनिवार को करना चाहिए। 5 शनिवार ऐसा करने से जीवन में अचानक आए कष्ट से छुटकारा मिलेगा। यदि किसी सदस्य की सेहत खराब है तो ऊसके लिए यह ऊपाय उत्तम है।
 2.रतिदिन हनुमान चालिसा पढ़ते रहें। कम से कम 43 दिन तक प्रतिदिन बजरंग बाण पढ़ें। कभी कभार घर में सुंदरकांड का पाठ भी करवाएं।
3. प्रतिदिन सुबह और शाम को कर्पूर जलाना चाहिए। इसके अलावा कभी कभी गुढ़ घी मिलाकर उसके कंडे पर धूप देना चाहिए। 
4.पूर्णिमा, अमावस्या, तेरस, चौदस और मंगलवार के दिन विशेष ध्यान रखें। इस दिन पवित्र बने रहें। 
 5.पांच शनिवार शनि मंदिर में छाया दान करें। अर्थात एक कटोरी में सरसों का तेल भरकर उसमें अपना चेहरा देखकर उसे मंदिर में रख दें।
 6.घर में गौमूत्र का छिड़कावर करें और हो सकते तो कुछ दिन थोड़ा-थोड़ा गौमूत्र पीने से भी लाभ प्राप्त होते हैं। 
 7.सफेद आंकड़े का पौधा घर में लगाएं तथा इस पौधे की जड़ को कुछ दिन के लिए गले में बांध लें।
 8. एक नींबी लेकर 21 बार अपने उपर या पीड़ित व्यक्ति के उपर से वारे और उसे किसी चौराहे पर रख आएं। पीछे पलटकर ना देंखे।
 9.जावित्री, गायत्री केसर और गूगल मिलाकर 21 दिन तक सुबह शाम गाय के कंडे (उपले) पर रखकर जलाएं।
 10.कालिका माता को 7 गुलाब के फूल चढ़ाकर 21 बार ॐ क्रीं का जाप करें। इसके बाद इनमें से एक गुलाब के फूल के 7 पत्ते व्यक्त को खिला दें।
 11.देव दानव सिद्धौघ पूजिता परमेश्वरी
पराण रूप परमा परतंत्र विनाशिनी
  वास्तुशास्त्र के अनुसार पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद, ज्येष्ठा, अनुराधा, स्वाति या भरणी नक्षत्र में शनि के स्थित होने पर शनिवार को गृह-निर्माण आरंभ नहीं करना चाहिए, अन्यथा वह घर राक्षसों, भूतों और पिशाचों से ग्रस्त हो जाएगा।
शाम के समय ये मंत्र 11 बार पढ़ते हुए घर में धूपबत्ती जलाने से दूसरे की बुरी नजर, टोना टोटाक आदि अभिचार कर्म नष्ट हो जाते हैं।

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